सोमवार, अप्रैल 19, 2010

सूफी साहब का 758 वां उर्स सम्पन्न

(रामसिंह मैढ़)
नागौर19 अप्रैल। दरगाह हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी के सालाना प्रथम द्वितीय तृतीय व बड़ास उर्स व रस्मे कुल शरीफ के विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में विभन्न स्थानों से आए जायरीनों ने शिरकत की। इस दौरान बाहर से आने वलो जायरीनों ने दरगाह में अपनी शिरकत दी व अकीदत के फूल पेश किए। इस दौरान जायरीनों ने व उनके साथ आए बच्चों ने मेले में लगी विभिन्न स्टालों पर जमकर खरीददारी की व मेले का लुत्फ उठाया। दरगाह कमेटी के सदर गुलाब शब्बर व प्रवक्ता मकबूल अहमद अंसारी ने बताया कि जालन्धर से आए शकील व रसीद पार्टी ने कलाम पेश करते हुए लोगों को सुफियाना संगीत में मदमस्त कर दिया। उन्होनें बड़ा है मस्तब आला हमीदुद्ीन सूफी का स्वाजा की और ख्वाजा हमीदुदीन सूफी का पेश किया तो दर्शक सूफी संगीत के समंदर मंे झूमने लग गए। इस दौरान शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों जायरीन मौजूद थे। अजमेर शरीफ से मिलाफ मुबारक की आमद के बाद तहसील चैक मस्जिद से शाहजहानी से 3 बजे ऊँटनी पर जुलूस गांधी चैक, सदर बाजार, काजी चैक, माही दरवाजा होते हुए दरगाह शरीफ पंहुचा वहां पर सूफी फकीरों ने शरीर को सलाखों से बिंधना, पत्ती चबा जाना, शस्त्रों की शरीर पर वर्षा करना अनेक प्रकार के हैरंतअंगेज कारनामे प्रस्तुत किए। इस दौरान सूफी दरगाह पुलिस कण्ट्रोल रूम के प्रभारी एसआई संग्रामसिंह, माही दरवाजा चैकीप्रभारी भंवरू खां, आरएसी महिला व पुरूष कर्मियों ने बड़ी चुस्ती व फुर्ती से अपने कत्र्तव्य को अंजाम देते देखा गया। इस छह दिवसीय उर्स मेले के लिए विभिन्न धार्मिक कमेटियों ने अपने अपने कत्र्तव्य को बेखूबी से निभाया। मो. आमीन रेडरोज वाले की पौबारह रही। बच्चों ने झूलों व मिक्की माऊस व सर्कस कीभारी सराहना की। अंतिम दिन 19 अप्रैलको रस्मे कुलशरीफ जुहर महफिले सिया बाद गुस्ल के साथ उर्स सम्पन्न हुआ। जायरीनों को गन्तव्य स्थानों पर लौटते देखा गया।

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