बलात्कार व हत्या का आरोपी 23 दिन बाद भी पुलिस शिकंजे से बाहर, मामला दर्ज के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं, मुलजिमों ने की पुलिस के साथ मिलीभगत, राजीनामा करने का दबाव,दुःखी भाई प्रेमनाथ ने की मुख्यमंत्री व गृहमत्रंी से फरियाद
नागौर 20 अगस्त। जिले की डेगाना तहसील के ग्राम सूरियास निवासी 22 वर्षीय प्रेमनाथ पुत्र स्व. किशननाथ जाति कामड ने गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, पुलिस महानिदेशक व पुलिस महानिरीक्षक अजमेर को फैक्स भेजकर उसकी बहिन विमला के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर कुएं में डालने वाले मुलजिम गजेन्द्रसिंह को शीघ्र गिरफ्तार कराने की मांग की है। ज्ञापन में प्रेमनाथ ने लिखा है कि उसके पिता किशननाथ का देहांत हुआ तब वह 15 वर्ष का था। उसके एक छोटा भाई है। एक बहिन विमला थी जो 15 वर्ष की थी। कंवारी थी। वह और उसका भाई धनेश घर से 250 किलोमीटर दूर मजदूरी करते हैं। मां तथा बहन विमला घर पर गांव सूरियास में रहती थी। गत 29 जुलाई 2009 को मां नरेगा कार्य पर मजदूरी करने गई थी। बहन विमला घर पर अकेली थी। घर से आधा किमी दूरी पर हमारा खेत है। दिन में वह खेत पर बकरी के लिए चारा लाने व खेत में काम करने के लिए जाया करती थी इसलिए 29 जुलाई 2009 को भी गई। हमारे खेत के पास गजेन्द्रसिंह पुत्र मोहनसिंह जाति राजपूत का खेत है। पहले भी दो बार गजेन्द्रसिंह ने विमला के साथ छेड़छाड़ की थी। विमला ने घर पर बताया था मगर लोकलाज के डर से मामला दर्ज नहीं कराया था। गत 29 जुलाई को दिन में गजेन्द्रसिंह ने विमला के साथ बलात्कार किया उस समय बाबूनाथ पुत्र चन्द्रनाथ, कालू खां पुत्र उमराव खां तथा सबीर खां पुत्र भवरू खां सभी निवासी सुरियास ने विमला के साथ बलात्कार करते हुए गजेन्द्रसिंह को देख लिया। जिस पर अपराध को छिपाने, सबूत नष्ट करने, खुद को बचाने के लिए शाम तक विमला को गजेन्द्रसिंह ने अपने कब्जे में रखा था। रात पड़ने पर अंधेरे का फायदा उठाकर विमला की हत्या कर दी और लाश हड़मानसिंह राजपूत के कुएं में डाल दी। उधर उसकी मां नरेगा कार्य से घर पर आई तो विमला घर पर नहीं थी। शाम तक तो मां ने सोचा विमला खेत गई होगी मगर अंधेरा होने तक विमला घर नहीं आई तब उसकी मां ने आसपास में तलाश की, ग्रामीणों से पूछताछ की। माँ विमला के लिए रोती हुई मेजर खां पुत्र जीवण खां के घर पर गई। उसी समय इकबाल खां पुत्र शेरखां की दुकान पर रेखादास पुत्र रामचन्द्रदास कुछ सामान लेने के लिए खड़े थे। वहाँ पप्पूसिंह पुत्र भोपालसिंह ने बताया कि उनके कुएं के पास एक चुन्नी (कपड़ा) व दो चप्पले पड़ी है। यह बात सुनकर मूलसिंह चैहान, रमजीराम मेघवाल, धन्नाराम खाती, रेखादास व पप्पूसिंह तथा अन्य कुछ लोग हनुमानसिंह के कुएं के पास गए तो वहांँ चुन्नी व चप्पले पड़ी थी। रेखादास ने चुन्नी(कपड़ा) व चप्पल विमला के होना बताया।यह सूचना मिलते ही गांव के लोग इकट्ठे होेने लगे। मेरी माँ को घर पर बिठा दिया गया। रेखादास ने मुझे भी फोन पर सूचना दी। उस समय वह सांवर (जिला अजमेर) में था। सूचना मिलने पर तुरंत गाड़ी किराये करके सुरियास के लिए रवाना हुआ। उधर लोगों ने देखा तो कुएं में पानी ज्यादा था। रात मंे पानी बाहर निकाला गया। विमला की लाश कुएं के अंदर मिलने के बाद पप्पू खां पुत्र मुकारब खां कायमखानी को रस्सी से कुएं में उतारा गया। उस समय पप्पूखां ने भी पुलिस को सूचना करने की बात कही। मगर ग्रामीणों ने ऐसा नहीं करने को कहकर जैसे तैसे पप्पू खां को संतुष्ट कर विमला की लाश बाहर निकालने के लिए राजी कर लिया और लाश को बाहर निकालकर सैंकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में कल्याणसिंह के ट्रैक्टर में डालकर घर पर ले आए। विमला की लाश को स्नान कराया गया तो उसकी पत्नी शारदा व जगदीश की पत्नी ज्याना ने उसका शरीर देखा। विमला की जांघ पर तथा छाती पर दांतो से काट खाने के निशान थे, सिर के बाल नोंचे हुए थे। पानी से भीगे हुए कपड़ों पर सिर के बाल चिपके हुए थे। ठाकर कल्याणसिंह व मुलजिम पक्ष के अन्य लोगों के दबाव के कारण पुलिस को सूचना नहीं दी गई। लाश का पोस्टमार्टम भी नहीं करवाया गया। विमला की लाश घर पर थी। उस समय तक मैं भी घर पर पंहुच गया। मगर उसको ठाकर कल्याणसिंह ने डाँट फटकार कर चुप रहने को कहा। उसको इस बात का दुःख है कि कामड़ समाज में मिट्टी दाग होता है। मृतक को जलाया नहीं जाता। मगर मुलजिमों के दबाव के कारण,राजपूत समाज के दबदबे के कारण गांव के लोग भी चुप रहे और सैंकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में उसकी बहन विमला की लाश को जलाकर हत्या के सबूत नष्ट कर दिए गए। जो संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। विमला का अंतिम संस्कार भी असभ्य व अपमानजनक तरीके से किया गया।उसकी लाश को ले जाने के लिए सीढ़ी बनाने हेतु बांस भी नहीं खरीदे गए और घर की टेढ़ी तिरछी लकड़ियों पर अस्त-व्यस्त सीढ़ी बना दी गई। जलाने की जल्दी करते हुए ठाकर कल्याणसिंह (मुलजिम के ताऊ) के घर से खेजड़ी की लकड़ी ट्रैक्टर में डालकर लाई गई। सबूत जल्दी नष्ट करने के लिए लाश को जल्दी जलाने के उद्देश्य से कल्याणसिंह के घर से पांच किलो शक्कर तथा पांच लीटर केरोसीन लाया गया जो विमला की लाश पर डाला गया। इस अपमानजनक तरीके से लाश जलाते समय ठाकर कल्याणसिंह, हड़मानसिंह, महेन्द्रसिंह, जयसिंह, चन्द्रनाथ, जगदीशनाथ, भवानीनाथ, बाबूनाथ, गांव के उप सरपंच जाखर खां तथा किशोरसिंह सहित सैंकड़ांे लोग मौजूद थे। विमला का अंतिम संस्कार दिनांक 30.07.2009 को सुबह जल्दी 7 बजे ही कर दिया गया। विमला की पूरी लाश जलने तक ठाकर कल्याणसिंह पास में खड़े रहे जबकि किसी भी कामड़ समाज के मृतक के दाग में ठाकर कभी भी नहीं जाते हैं। उक्त सभी हरकतों से साबित है कि विमला की हत्या गजेन्द्रसिंह द्वारा की गई थी और सबूत नष्ट करने के लिए अनेक लोग उसमें शामिल थे। धीरे-धीरे बात सामने आई तो मुलजिमों ने अपने अपराध को छिपाने के लिए 02.08.2009 को रात्रि में करीब साढ़े आठ बजे उसे तथा उसके काका सोहननाथ को मुलजिम के पिता मोहनसिंह ने उसके बड़े भाई ठाकर कल्याणसिंह के घर पर बुलाया। ठाकर कल्याणसिंह व मोहनसिंह ने हम दोनों को कहा कि गजेन्द्रसिंह ने विमला के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी है। इसके लिए हम गुनहगार हैं। उस समय उनके पास छः-सात अन्य ग्रामीण भी मौजूद थे। उन्होनें अपराध के लिए माफी मांगते हुए 30 हजार रूपए हर्जाने के रूप में देने की बात कही। जिस पर उसने तथा उसके काका ने मना कर दिया। जिससे नाराज होकर ठाकर कल्याणसिंह ने उन्हें अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए गाली गलौच किया और खिलाफत करने पर जान से मारने की धमकी दी। डर के मारे दो दिन और चुप रहा। उसके बाद मां के बीमार होने, उसको अजमेर ले जाकर इलाज कराने के बहाने घर से निकला और 4.8.2009 को अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक नागौर दिलीप जाखड़ के समक्ष पेश हुआ। जहां उसने उसकी बहन के साथ बलात्कार कर हत्या करने की घटना बताई। जिला पुलिस अधीक्षक ने एक पुलिसकर्मी को उसके साथ उप पुलिस अधीक्षक मेड़ता के पास भेजा। 04.08.2009 को रात्रि में 12 बजे वे मेड़ता पंहुचे। उप पुलिस अधीक्षक मेड़ता श्री संजय गुप्ता ने उसको 5 अगस्त को सुबह पुलिस थाना पादूकलां पर बुलाया। जहां से पुलिस मौके पर गई। वह भी साथ में था। मौका तफ्तीश के बाद पुलिस ने बाबूनाथ पर शक किया और बाबूनाथ पुत्र चन्द्रनाथ को पकड़कर थाने लाई। पूछताछ के दौरान बाबूनाथ ने विमला के साथ बलात्कार करने की घटना का खुलासा किया। उसके बाद पुलिस ने प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज की जो मुकदमा नं. 127 में धारा 376, 306, 120बी, 363, 366ए व 201 आईपीसी तथा 3(2(5/3(1(10)) एससी एसटी में दर्ज किया। पुलिस ने मौका तफ्तीश के समय बलात्कार स्थल, हनुमानसिंह के कुए, अंतिम संस्कार स्थल की फोटोग्राफी की तथा लाश कुएं में से निकाली उस समय पहने हुए कपड़े (सलवार, जम्पर, बनियान, अण्डरवियर)जो हमारे घर पर थे तथा हडिडयाँ बरामद कर ले गई। घटना को आज 23 दिन बीत जाने के बाद भी मुलजिम गिरफ्तार नहीं हुआ है। मुलजिम फरार है, उसके ताऊ ठाकर कल्याणसिंह, हनुमानसिंह, महेन्द्रसिंह अपनी निजी गाड़ी से दिन में कई बार पुलिस थाना पादूकलां जाते हैं। पुलिस उपाधीक्षक मेड़ता के पास भी जाते हैं। उनकी मिलीभगत और प्रभाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उसके रिश्तेदारों व ग्रामीणों के माध्यम से उस पर दबाव डाल रहे हैं कि मुलजिम गजेन्द्रसिंह के साथ राजीनामा कर लो, विमला की मौत को भूल जाओ, वरना तुम्हें जान से मार देंगे। उसने आग्रह किया है कि सुरियास गांव में उसकी जान को खतरा है। गांव में रहना असंभव हो गया है। छिपकर अपना समय बिता रहा है। अतः गरीब को सुरक्षा प्रदान की जावे। मुलजिमों को गिरफ्तार कर दण्डित किया जावे। उक्त फरियाद को लेकर प्रेमनाथ आज जिला पुलिस अधीक्षक बालमुकुन्द वर्मा, अतिरिक्त जिला कलक्टर रामावतार मीणा से भी मिला।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें