शनिवार, मार्च 28, 2009

उपकेन्द्र कृषि अनुसंधान वर्षों से पड़ा है वीरान

17 मार्च को प्रकाशित खबर के बाद नई जानकारी मिली
प्रभारी अधिकारी,करता है शेयर बाजारी,
नहीं रहता है आॅफिस में यह उसकी मर्जी, हाउस रेंट भी उठाता है फर्जी,
हाजरी रजिस्टर में काटछांट, विरोध करने वालों को पड़ती है डांट,
नागौर। 28 मार्च। स्थानीय गोगेलाव रोड़ पर शहर से चार किलोमीटर दूर स्थित कृषि अनुसंधान उपकेन्द्र एक दशक से भी अधिक समय से प्रभारी अधिकारी के.एल. पूनियां के भरोसे चल रहा है। पूनियां की ढिलाई,लापरवाही, मनमानी के कारण उपकेन्द्र लम्बे समय से वीरान अवस्था में पड़ा है। कार्यालय की हालत देखने से लगता है कि इसका कोई धणी धोरी नहीं है। लाखों रूपए से खरीदा गया सामान भवन और भूमि सहित करोड़ो की सम्पति उपयोगहीन पड़ी है। प्रतिमाह लाखों का वेतन उठाने वाले कर्मचारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है। कौन कब आॅफिस आता है। इसका कोई हिसाब नहीं है। कार्यालय का उपस्थिति रजिस्टर श्री पूनियां के कब्जे में रहता है। एक दो सप्ताह में जब भी उनका कार्यालय में आना होता है, एकमुश्त ही हस्ताक्षर कर दिए जाते है। इस गतिविधि का विरोध करने वाले अन्य कर्मचारी को भी पूनियां की डांट पड़ती है। अगर कोई डांट के बाद भी विरोध करना चाहता है, तो उसके हस्ताक्षर काट दिए जाते है। सरकारी कार्यालय का उपस्थिति रजिस्टर बार बार काटछांट की वजह से रफ कॉपी की तरह लगता है। फिर भी अधिकारी की मनमर्जी चल रही है। आश्चर्य की बात है कि उक्त उपकेन्द्र के प्रभारी अधिकारी श्री पूनियां अपने जीवन का अधिकतर समय शेयर मार्केट में लगाते है। शेयरों के भाव, उतार चढाव का सारा हिसाब उन्हें जबानी याद है। मगर कार्यालय की किसी गतिविधि पर चिंतन करने का समय उनके पास नहीं है। उपस्थिति रजिस्टर से मिली जानकारी के अनुसार श्री पूनियां गत महिनों 26 दिनों तक पीएल पर रहे। मगर पीएल फार्म तक नहीं भरा। कार्यालय का बेसिक फोन प्रायः नो रिप्लाई रहता है। मगर जब श्री पूनियां फोन के पास बैठ जाते है, तो शेयर खरीद फरोख्त के लिए फोन बिजी रहता है। कोई भी साधारण नागरिक, किसान या मीडियाकर्मी कार्यालय समय में उक्त उपकेन्द्र पर चले जाते है, तो संतुष्टि पूर्ण जवाब देने में असमर्थता जाहिर करने वाले कर्मचारी ही मिलते है। मजे की बात है कि उक्त उप केन्द्र पर कोई भी किसान हित का काम नहीं होेने के बावजूद भी कार्यालय मेन्टीनेस के नाम पर फर्जी बिल बनाकर बिना किसी वित्तीय नियमों को लागू किए ही भुगतान उठा लिया जाता है। आश्चर्य की बात है कि श्री पूनियां लम्बे समय तक कार्यालय परिसर में बने हुए आवासीय क्वार्टर में निवासी करते रहे और रिकार्ड में उक्त क्वार्टर को खाली बताकर वेतन के साथ मिलने वाला हाऊस रेंट उठाते रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर उक्त समय का रिकार्ड सीज कर गहनता से जांच की जावे तो पांच लाख से अधिक राशि हाऊस रेंट की राशि का गबन उजागर हो सकता है। कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा हाऊस रेंट भुगतान केे एवज में मांगे जाने पर भी उक्त क्वार्टर किसी कर्मचारी को लम्बे समय से आवंटित नहीं किया गया। कुछ कर्मचारियों द्वारा अधिक जिद करने के बाद इन दिनों उक्त क्वार्टर अन्य कर्मचारियों को आवंटित कर दिया गया है। तथा श्री पूनियां कार्यालय परिसर से बाहर किराए के मकानों में रहने लगे है। एक और मजे की बात है कि उक्त उप केन्द्र की चैकीदारी ठेके पर दी जाती है। मगर श्री पूनियां की मिली भगत से कार्यालय का चपरासी ही चैकीदारी की ठेकेदारी चला रहा है। यह बात समझ कि दिन भर चपरासी का काम करने वाला व्यक्ति रात भर चैकीदारी कैसे करता है। दैनिक नागौर की आवाज ने कॉलम पोल खोल के तहत गत 17 मार्च 2009 को उक्त उप केन्द्र द्वारा सरकार को लाखों का चूना लगाने की खबर प्रकाशित की थी। जिसकी प्रतियां जिला कलक्टर, बीकानेर के कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति तथा राज्य के कृषि मंत्री को उपलब्ध कराने के कारण कुछ हलचल हुई। जिसके परिणामस्वरूप नई जानकारी भी उपलब्ध हुई है। मगर उक्त उप केन्द्र की कार्यशैली में बदलाव होना किसानों के हित में है। सरकारी साधनो का उपयोग नहंी होना और किसानो को उन्नत बीज नहीं मिलना जिले के किसानो के लिए दुर्भाग्य की बात है।

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