शुक्रवार, सितंबर 18, 2009

नागौर डेयरी- लाखों के गबन का आरोप

जांचकत्र्ता भी आरोपियों से मिले, लीपापोती का प्रयास

गुमनाम शिकायत की जांच शुरु2 लाखों के घोटाले दबाने के प्रयास तेज, जांच अधिकारी को दो दिनों तक घेरे रखा आरोपियों ने, डेयरी की हर गतिविधि में घपला,उपभोक्ताओं को प्रतिमाह लाखों की चपत ,दूध की पैकिंग में प्रतिदिन 20 क्विंटल की हेराफेरी की संभावना 2 घी में घोटाला ,स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना में चौदह लाख के गबन का आरोप

नागौर 18 सितम्बर। स्थानीय नागौर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि. में कदम कदम पर घोटाला करने, राशि गबन करने, दूध में मिलावट करने, झूठे बिल बनाकर राशि हड़पने, दूध की पैकिंग में मात्रा कम रखकर उपभोक्ताओं को ठगने, साल भर में करोड़ों का घी बेचने में अनियमितता बरतने सहित विभिन्न आरोप लगाकर डेयरी के अध्यक्ष तथा एक सहायक प्रबंधक पर आरोप लगाते हुए कुछ लोगों ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो तथा आरसीडीएफ जयपुर को गुनाम शिकायत की थी। उस शिकायत की जांच गत 14 सितम्बर को शुरु हुई।जयपुर आरसीडीएफ के संस्थागत अधिकारी ने किशोर जलूथरिया तथा उनके सहायक के रूप में तेजराम मीणा निरीक्षक आरसीडीएफ को नियुक्त कर नागौर भेजा था।आश्चर्य की बात है कि जांच अधिकारी श्री किशोर जलूथरिया और तेजाराम मीणा नागौर पंहुचकर आरोपी एवं दोषी लोगों से मिले। दिनांक 14 सितम्बर तथा 15 सितम्बर को दो दिनों तक आरोपियों के साथ रहे। रात्रि विश्राम भी आरोपियों के साथ एक होटल में किया। जांच में लीपापोती करने के उद्देश्य से 14 सितम्बर को कार्यालय जांच अधिकारी एवं निरीक्षक कार्यकरी कैम्प नागौर से एक नोटिस जारी किया। मजे की बात है कि नोटिस को सार्वजनिक नहीं किया गया। ऐसा था जांच नोटिससंस्थागत विकास अधिकारी आरसीडीएफ जयपुर के आदेशानुसार अद्योहस्ताक्षरकत्र्ता को नागौर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड की प्राप्त शिकायतों की जांच हेतु जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। प्राप्त शिकायत पत्र पर शिकायत कत्र्ताओं के हस्ताक्षर है शिकायतकत्र्ताओं का पता दर्ज नहीं है। ऐसी स्थित में नागौर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष श्री गणपत राम पूनियां व श्री शंकरराम जाखड़ सहायक प्रबंधक द्वारा दिनबदिन संघ को खोखला करने से बचाने हेतु की गई की शिकायत की जांच हेतु समस्त शिकायतकत्र्ताओं को सूचित किया जाता है कि इस संबंध में अपने ठोस सबूत दस्तावेज /रिकार्ड लेकर अधोहस्ताक्षरकत्र्ता अथवा जांच सहायक श्री तेजराम मीणा निरीक्षक आरसीडीएफ के समक्ष दिनांक 15. 09.09 को सायं काल 05.00 बजे तक कार्यालय नागौर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड पर प्रस्तुत कर सकते हैं।पास फटकने तक नहीं दिया शिकायत कत्र्ताओं कोविशेष हरकत यह रही है कि 15 सितम्बर को जांच कत्र्ता सुबह 11 बजे डेयरी के डॉक पर पंहुचे जहां जांच करने पर एक समिति का दूध नकली पाया गया जिसकी केन जमीन पर खाली करवाई गई। मगर उस समिति के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई और मीडिया को इसकी सूचना नहीं दी गई। दोनों आरोपी दिनभर जांच कत्र्ता अधिकारियों को घेरे हुए रहे। कार्यालय के बाहर चैकीदार की तरह चैकसी करते रहे ताकि कोई भी शिकायतकत्र्ता उन तक पंहुच नहीं सके। शाम को पांच बजते ही जांचकत्र्ता जयपुर के लिए प्रस्थान कर गये। भनक पडऩे पर कुछ मीडियाकर्मी भी डेयरी कार्यालय में पंहुचे मगर उन्हें भी जांचकत्र्ता से बिना मिलाये ही टरका दिया गया।अखबारों में खबरे प्रकाशितजांचकत्र्ताओं के वापिस लौटने के बाद मीडिया को भनक लगने पर दूरभाष से सम्पर्क कर बड़े अखबारों में खबरें प्रकाशित हुई कि गुमनाम शिकायतों की जांच शुरु। मगर जांचकत्र्ता ने इस जांच को प्राथमिक जांच बता दिया। गुमनाम शिकायकत्र्ताओं का कहना है कि आरोपी लीपापोती कराने के भरसक प्रयास कर रहे हैं। यह थी गुमनाम शिकायतनागौर डेयरी में लाखों का गबन होने की गुमनाम शिकायत राजस्थान को- ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन जयपुर को की गई उसमें आरोप लगाये गये है कि स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 14 लाख 8 हजार का गबन किया गया है इसके रिकार्ड की जांच की जावे। उन्होनें 128 समितियों की सूची संलग्न की और 64 से अधिक समितियां अस्तित्व में नहीं होने की बात कही है। शिकायत में लिखा है कि गबन करने वाले कर्मचारी अधिकारी लाखों का घी समितियों के नाम से फर्जी तरीके से उठाकर बाजार में बेच रहे हैं। कागजों में घी की रकम समिति के नाम से ऋण के रूप में बकाया रहती है जबकि उस रकम का व्यक्तिगत उपयोग होता है। डेयरी में घी के भाव बढ़ते हैं तो लाखों का घी बेकडेट में उठा लेते हैं। जिससे डेयरी को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। घी का फिजिकल स्टाक,समितियों के मांगपत्र, घी के लिए ऋण राशि, भुगतान का तरीका, समय पर भुगतान, समिति का दूध कितना आता है उसको घी कितना दिया गया है। आदि बिन्दुओं की जांच की जाने की मांग की गई। डेयरी के स्टॉक मिलान में भारी अंतर चल रहा है।शिकायत में आरोप लगाये गये हैं कि समितियों का मांग पत्र नहीं होने के बावजूद घी व पशु आहार आदि उनके नाम से उठा लिये जाते हैं। परिणामस्वरूप उनका खाता मिलान नहीं होता है। समितियों से प्राप्त दूध के भुगतान में से नाजायज कटौती करते हैं जिससे कई समितियां दु:खी है। नागौर, मेड़ता, कुचामनसिटी की समितियां का दुग्ध परिवहन करने वाले वाहनों के किलोमीटर रूट व नक्शे प्रमाणित नहीं है, परिणामस्वरूप फर्जी किलोमीटर भरकर भुगतान उठाया जाता है। जीप नं. आरजे 21-605 डेयरी में फील्डवर्क के लिए ठेके पर लगा रखी है जो हमेशा खड़ी रहती है या निजी काम में ली जाती है उसका प्रतिमाह फर्जी भुगतान उठाया जाता है। फील्ड में विजिट के हस्ताक्षर जांच करने से यह गबन पकड़ा जा सकता है। जीप की वित्तीय स्वीकृति नहीं है। उक्त संघ का पृथक गठन सन् 2007 में हुआ था जो निरंतर घाटे में चल रहा है। घाटे का कारण गबन व अनियमितता है। यह भी रोचक जानकारी है-शिकायतकत्र्ताओं ने लिखा है कि डेयरी के अध्यक्ष बीपीएल कार्ड धारी है। कुचामनसिटी के प्लांट पर दूध की पैकिंग होती है उसमें प्रतिदिन बीस क्विंटल दूध का गबन होता है। प्रत्येक थैली पैकिंग में 50 से 70 ग्राम दूध कम होता है। निर्धारित मात्रा से एक फेट कम रखकर पैकिंग होती है। गत वर्ष इस मामले की उच्चाधिकारयिों द्वारा जांच की गई, अनियिमितता पाई गई फिर भी कोई कार्यवाहीं नहीं हुई है। इसमें आम उपभोक्ता के चपत लग रही है। गुमनाम शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भी की गई है। शिकायतें डेढ़ वर्ष से चल रही है। नागौर की आवाज ने ''डेयरी को डूबो रहा है अध्यक्षÓÓ शीर्षक से 23 फरवरी 2008 को खबर छापी थी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें