सोमवार, मार्च 23, 2009

अब नागौर में कृषि घोटाला

नागौर। कृषि अनुसंधान उप केन्द्र बीकानेर रोड़ पर स्थित है। जिसमें साधनों का उपयोग नहीं होने से सरकार को प्रतिवर्ष लाखों का चूना लगाया जा रहा है। बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित उक्त केन्द्र के अधीन 540 बीघा जमीन है। जिसमें कार्यालय भवन, गोदाम, आवासीय मकान, गाड़ी, ट्रेक्टर, ट्रोली, हल, तवी, हेरो, नलकूप, सिंचाई के साधनों सहित करोड़ों की सम्पति है। उक्त केन्द्र में उच्चाधिकारी, तकनीकी कर्मचारी, लेखाकार कनिष्ठ लिपिक, सहायक कर्मचारियों सहित पूरी टीम तैनात है। प्रतिवर्ष लाखों का बजट आता है। पन्द्रह लाख से अधिक केवल कर्मचारियों का वेतन उठता है। आश्चर्य की बात यह है कि उक्त केन्द्र पर तैनात अधिकारी गण दस बारह वर्षों से स्थाई जमे हुए बैठे है। मनमानी कर रहे है। अधिकतर समय अनुपस्थित रहते है। केन्द्र का काम बीज की नई किस्म तैयार करना, गुणवत्ता वाला बीज तैयार कर किसानों को बीज उपलब्ध कराने का है। मगर सरकार के लाखों खर्च होने के बावजूद भी केन्द्र की 540 बीघा भूमि में से 500 बीघा भूमि बंजर पड़ी है। केवल 40 बीघा भूमि पर आधी अधूरी फसल बोई जाती है। उसका भी कोई उपयोग नहीं होता। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष केवल 75 क्विंटल बीज पैदा किया गया जबकि भूमि और साधनों की क्षमता के अनुसार एक हजार क्विंटल से भी अधिक बीज पैदा किया जा सकता है। नागौर जिले के किसान गुणवत्ता वाले बीज के लिए चक्कर काटते रहते है मगर बीज नहीं मिल पाता है। उच्चाधिकारी की लापरवाही के कारण केन्द्र की भूमि के चारों तरफ की गई तारबन्दी भी चोर ले गये है। शहर से 4 किलोमीटर दूर होेने के कारण कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इसके कार्यालय तक नही जाते है। आश्चर्य की बात है कि कृषि विस्तार के अधिकारी और उक्त केन्द्र के अधिकारी भी आपस में तालमेल नहीं रखते है। इनको निर्देशन भी बीकानेर से मिलते है, मगर प्रभारी अधिकारी की ढिलाई कोढ में खाज का काम कर रही है। लम्बे समय से एक ही अधिकारी रहने के कारण केन्द्र की कार्यशैली में कोई परिवर्तन नहीं है।
उक्त अधिकारी अन्य विभागों तथा मीडिया से भी दूरी बनाए हुए रहते है। किसान हित की किसी भी बात को कभी भी सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं करवाते है। गुपचुप तरीके से ही प्रतिवर्ष लाखों का चुना लगाया जा रहा है। किसानों से जुड़े संगठनों को इस केन्द्र की गतिविधियों की जांच करवानी चाहिए। उपयोगहीन पड़ी पांच सौ चालीस बीघा जमीन का किसान हित में उपयोग होना चाहिए। बेकार बैठे कर्मचारियों का भी उपयोग होना चाहिए। अनुपस्थित रहकर पन्द्रह वर्षों से वेतन उठाने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
कृषि विस्तार व प्रशासनिक अधिकारियों से तालमेल बनाया जाकर समय समय पर कार्यो व बजट उपयोग की जांच की जानी चाहिए। बिना लगाम के घोड़े की तरह उक्त केन्द्र के अधिकारी मनमर्जी से ही सरकार को भारी नुकसान पहुंचा रहे है। इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। नागौर की आवाज ने इस मामले की जांच की है कि उक्त केन्द्र में पोलम पोल है जिसका भण्डाफोड़ जरूरी है।

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