शुक्रवार, अक्तूबर 02, 2009

मिर्धा ने किया नागौर में पंचायतीराज का विमोचन


दैनिक नागौर की आवाज द्वारा स्वर्ण जयंती पर प्रकाशित शोधग्रन्थ


नागौर 2 अक्टूबर। स्थानीय बल्लभ चैराहे के पास आज पंचायतीराज स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर आयोजित एक स्वागत समारोह में कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रामनिवास मिर्धा ने स्वर्ण जयन्ती पर विशेष ‘‘नागौर में पंचायतीराज’’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। श्री मिर्धा ने इस अवसर पर पुस्तक के लेखक साहित्यकार रामरतन बिश्नोई को शुभकामनाएं देने के साथ ही नागौर में पंचायतीराज के लिए स्वर्ण जयन्ती पर विशेष रूप से लिखी गई पुस्तक के लिए धन्यवाद दिया। उन्होनें कहा कि इस पुस्तक से पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों को पंचायतीराज स्थापना के इतिहास की और उसके विकास की जानकारी होगी। साथ ही इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवा करने वाले लोगों के जीवनचरित्र से प्रेरणा मिलेगी। लेखक रामरतन बिश्नोई ने कहा कि आज से 50 वर्ष पहले नागौर में पंचायतीराज की स्थापना की गई थी। उस दिन से लेकर आज तक का नागौर जिले का इतिहास पंचायतीराज के सम्बद्ध में लिखा गया है। इसके साथ ही भारत में पंचायतीराज आदिकाल से अब तक, सत्ता के ेविकेन्द्रीकरण के बढ़ते कदम, पंचायतीराज कानून में सुधार, जिला परिषद का स्वरूप, पंचायत समिति की परिभाषा, ग्राम पंचायत की परिभाषा, ग्रामसेवक के कार्य और वार्डसभा की जानकारी दी गई है। पंचायतीराज के माध्यम से सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। सूचना का अधिकार , नरेगा अधिनियम की जानकारी दी गई है। उन्होनें बताया कि नागौर जिले में पंचायतीराज की स्थापना के समय 358 पंचायतीराज जनप्रतिनिधि थे उनकी सूची प्रकाशित करने के साथ ही वर्तमान में जिले के 792 पंचायतीराज जन प्रतिनिधियों की नाम पता सहित सूची भी दी गई है। श्री बिश्नोई ने बताया कि जिले में पंचायतीराज के माध्यम से उल्लेखनीय सेवा करने वाले जिला प्रमुख, प्रधान एवं सरपंचों के सचित्र जीवन चरित्र लिखे गये हैं जिनमें से ऐसे जनप्रतिनिधि भी हैं जिनके परिवार में लगातार 40 या 45 वर्षों तक सरपंच या प्रधान रहे हैं। उनकी जीवनी लोगों के लिए प्रेरणादायी है। पुस्तक की अद्वितीय विशेषता है कि पंचायतीराज की स्थापना नागौर में ही क्यांे हुई तथा स्थापना समारोह का आयोजन किसके द्वारा व कैसा हुआ था इसकी जानकारी दी गई है और स्थापना समारोह की याद ताजा करने वाले दुर्लभ चित्र भी प्रकाशित किए गए हैं। जिनको देखकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा गदगद हो गए। श्री बिश्नोई ने बताया कि इस पुस्तक की सामग्री संकलन मंे तथा प्रकाशन में रामाकिशन बिश्नोई ,महावीर बिश्नोई पत्रकार, ओमप्रकाश पारीक, रमाकांत पारीक, रामप्रसाद बिश्नोई का उल्लेखनीय सहयोग रहा है। 2 वर्षों तक लगातार लगन के साथ परिश्रम करने से यह पुस्तक लिखी जा सकी है। पंचायीतराज स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर गौरव प्रदान करने वाली पुस्तक तैयार हुई है। श्री बिश्नोई ने पुस्तक का विमोचन करने के लिए श्री मिर्धा का आभार ज्ञापित किया। इस स्वागत समारोह मंे राजस्थान के मंत्री राजेन्द्र पारीक, पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह, चिकित्सा मंत्री दुर्रू मियां, अमीन खां, बी.डी. कल्ला, ज्योति मिर्धा, गोपालसिंह ईड़वा, रिछपालसिंह मिर्धा, मंजू मेघवाल, हरेन्द्र मिर्धा, नरेन्द्र बुड़ानियां, वीरेन्द्र बेनिवाल डाॅ. सहदेव चैधरी सहित स्वर्ण जयन्ती समारोह में आए राजस्थान सरकार के मंत्रीगण तथा गणमान्य नागरिक मौजूद थे। श्री रामनिवास मिर्धा ने इस समारोह से पहले स्थानीय गांधी चैक पंहुचकर महात्मा गांधी की प्रतिमा को माल्यार्पण किया।

1 टिप्पणी:

  1. really its a gr8 news 4 all bishnoi community dat mr.ramratan bishnoi write a book.in dis book all history of hw 2 born panchayatiraj n whr.
    congratulations mr.bishnoi.

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